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अन्तस भाव / कुलदीप सिंह भाटी

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अंतस - भावों को
कागज पर
न उतार पाने का दुःख
उतना ही है,
जितना कि

गर्भवती स्त्री के
शिशु की असमय मृत्यु के निमित्त
उसके अंक की रिक्तता।

सच !
सृजन का असामयिक अंत
सदैव विषादपूर्ण होता है।