भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अपना आना किसने जाना / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:40, 24 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपना आना किसने जाना?
जग में आ फिर क्या पछताना?
जो आते वे निश्वय जाते,
तुझको मुझको भी है जाना!
बाँध कमर, ओ साक़ी सुंदर,
उठ, कंपित कर में प्याली धर,
प्रीति सुधा भर, भीति द्विधा हर,
चिर विस्मृति में डूबे अंतर!