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अपना उज्ज्वल देश बनाएँ / हरिवंश प्रभात

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अपना उज्ज्वल देश बनाएँ, यही समय की माँग है।
ईमानदारी अपनी निभाएँ, यही समय की माँग है।

कितने सारे पास तेरे हैं, पड़ता उससे फ़र्क़ नहीं,
काम बता कितने हैं आएँ, यही समय की माँग है।

देने को तो जान भी कम है, मातृभूमि के वास्ते,
अपना बेहतर आप बनाएँ, यही समय की माँग है।

जो भी अच्छे काम लगेंगे, उनको करते जाना है,
आज यही सबको सुनाएँ, यही समय की माँग है।

वर्ग संघर्ष के साथ-साथ ही, आत्म संघर्ष ज़रूरी है,
शोलों पर भी चलते जाएँ, यही समय की माँग है।

सीधी रेखा जीवन चलता, नहीं किसी भी शख़्स का,
फिर भी सीढ़ी राह अपनाएँ, यही समय की माँग है।

वह ताकत भी क्या है जो ना विरोध करे अन्याय का,
न दैन्यं न पलायनम हो, यही समय की माँग है।

प्राकृतिक सौन्दर्य हमारे पर्वों और त्योहारों में,
उनको निष्ठापूर्ण मनाएँ, यही समय की माँग है।

जीवन नया आरम्भ सदा हो, रसमयता सम्बंधों में,
विफलता को दूर भगाएँ, यही समय की माँग है।