भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
[[Category:गीत]]
 
[[Category:गीत]]
 
<poem>
 
<poem>
अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता तो कितना अच्छा होता  
+
अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता  
प्यार की रात का कोई न सवेरा होता तो कितना अच्छा होता  
+
तो कितना अच्छा होता  
 +
प्यार की रात का कोई न सवेरा होता  
 +
तो कितना अच्छा होता  
  
पास रहकर भी बहुत दूर बहुत दूर रहे, एक बन्धन में बँधे फिर भी तो मज़बूर रहे
+
पास रहकर भी बहुत दूर बहुत दूर रहे,  
मेरी राहों में न उलझन का अँधेरा होता, तो कितना अच्छा होता  
+
एक बन्धन में बँधे फिर भी तो मज़बूर रहे
 +
मेरी राहों में न उलझन का अँधेरा होता,  
 +
तो कितना अच्छा होता  
  
दिल मिले आँख मिली प्यार न मिलने पाए, बाग़बाँ कहता है दो फूल न खिलने पाएँ
+
दिल मिले आँख मिली प्यार न मिलने पाए,  
अपनी मंज़िल को जो काँटों ने न घेरा होता, तो कितना अच्छा होता  
+
बाग़बाँ कहता है दो फूल न खिलने पाएँ
 +
अपनी मंज़िल को जो काँटों ने न घेरा होता,  
 +
तो कितना अच्छा होता  
  
अजब सुलगती हुई लकड़ियाँ हैं जग वाले, मिलें तो आग उगल दें कटें तो धुआँ करें
+
अजब सुलगती हुई लकड़ियाँ हैं जग वाले,  
अपनी दुनिया में भी सुख चैन का फेरा होता तो कितना अच्छा होता  
+
मिलें तो आग उगल दें कटें तो धुआँ करें
 +
अपनी दुनिया में भी सुख चैन का फेरा होता  
 +
तो कितना अच्छा होता  
  
 
अपनी उल्फ़त पे ...
 
अपनी उल्फ़त पे ...

10:50, 2 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता
तो कितना अच्छा होता
प्यार की रात का कोई न सवेरा होता
तो कितना अच्छा होता

पास रहकर भी बहुत दूर बहुत दूर रहे,
एक बन्धन में बँधे फिर भी तो मज़बूर रहे
मेरी राहों में न उलझन का अँधेरा होता,
तो कितना अच्छा होता

दिल मिले आँख मिली प्यार न मिलने पाए,
बाग़बाँ कहता है दो फूल न खिलने पाएँ
अपनी मंज़िल को जो काँटों ने न घेरा होता,
तो कितना अच्छा होता

अजब सुलगती हुई लकड़ियाँ हैं जग वाले,
मिलें तो आग उगल दें कटें तो धुआँ करें
अपनी दुनिया में भी सुख चैन का फेरा होता
तो कितना अच्छा होता

अपनी उल्फ़त पे ...

यह गीत शैलेन्द्र ने फ़िल्म 'ससुराल' (1961) के लिए लिखा था ।