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"अपनी परछाई के पीछे खौफ़ के आँसू पिये / अनिरुद्ध सिन्हा" के अवतरणों में अंतर

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22:41, 13 मार्च 2018 के समय का अवतरण

अपनी परछाई के पीछे खौफ़ के आँसू पिये
आप ही कहिए कोई कैसे यहाँ आख़िर जिये

बंद रखकर पट तिमिर से रातभर लड़ने के बाद
भोर होते ही उजालों ने बहुत ताने दिये

कब तलक आवाज़ देंगे क़ातिलों के गाँव में
एक ढीलासा कोई क़ानून हाथों में लिए

ज़िन्दगी के इस सफ़र में लोग कुछ ऐसे भी हैं
जानकर सच बात भी रहते हैं होठों को सिये

मन में धरती की ललक आँखों में ले आकाश को
हमने पलकों पर उठाकर चाँदतारे छू लिये