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"अपनी बेताबी से उनको बेखबर समझे हैं हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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− | |संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुलाब खंडेलवाल
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− | [[category: ग़ज़ल]]
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− | <poem>
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− | अपनी बेताबी से उनको बेख़बर समझे हैं हम
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− | फिर भी कुछ है प्यार का उनपर असर, समझे हैं हम
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− | ये तड़पती चितवनें, ये धड़कनें दिल की उदास
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− | कोई समझे या नहीं समझे, मगर समझे हैं हम
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− | दो घड़ी रोना-कलपना, दो घड़ी मस्ती के रंग
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− | आपकी आँखों का इनको खेल भर समझे हैं हम
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− | देखकर भी हमको होठों पर हँसी आयी नहीं
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− | आज कुछ बदली हुई है वह नज़र, समझे हैं हम
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− | तोड़ ले जाएगा कोई तुझको दम भर में गुलाब!
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− | प्यार के ये रंग होंगे बेअसर, समझे हैं हम
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00:20, 4 जुलाई 2011 के समय का अवतरण