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"अपने ख़्वाबों को तेरी आँख में जलता देखूँ / सईद राही" के अवतरणों में अंतर

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03:56, 24 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण

अपने ख़्वाबों को तेरी आँख में जलता देखूँ
मेरी हसरत है तुझे नींद में चलता देखूँ

मेरा मिटना तो बस इक रात का क़िस्सा है मगर
मैं तुझे रोज़ शमा बन के पिघलता देखूँ

ये मेरा वहम हैं या तेरी तज्जली का कमाल
इक सूरज तेरे चेहरे से निकलता देखूँ

ख़्वाब किस जुर्म की ख़ातिर मुझे आते हैं नज़र
अपने पैरों से फूलों को मसलता देखूँ

हो न ऐसा के मेरी आह असर कर जाए
घर तेरा पहली ही बरसात में जलता देखूँ