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काम का मनचाहा फल पाओ
सब नें बचपन से सीखा है
फजऱ् फ़र्ज़ और हक़ अलग भला कैसे समझें अब
तोड़-जोड़ में उलझे
उन सब इन्सानों का क्या होगा