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"अब ‘विनय’ तेरे ग़म से ग़ाफ़िल नहीं रहा/ विनय प्रजापति 'नज़र'" के अवतरणों में अंतर

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अब ‘विनय’ तेरे ग़म से ग़ाफ़िल नहीं रहा
 
अब ‘विनय’ तेरे ग़म से ग़ाफ़िल नहीं रहा
देख तो वो मग़रूर वो संगदिल नहीं रहा
+
देख तो वह मग़रूर संगदिल नहीं रहा
  
हमें कोई शिबासी दे हमने तेरा राज़ न खोला
+
हमें शिबासी दो कि तेरा राज़ न खोला
पर जानाँ ये जान लो मैं बातिल नहीं रहा
+
पर जानाँ आज से मैं बातिल नहीं रहा
  
तेरी कही सुनी सब मुझे वक़्त ने भुला दी
+
तेरी कही-सुनी सब मुझे वक़्त ने भुला दी
ये ग़ैर तेरी दुश्मनी के क़ाबिल नहीं रहा
+
ये ग़ैर अब दुश्मनी के क़ाबिल नहीं रहा
  
 
हमें जब नाज़ थे तो ये दर्द किसलिए हैं
 
हमें जब नाज़ थे तो ये दर्द किसलिए हैं
तेरे बाद कोई चेहरा मुस्तक़िल नहीं रहा
+
तेरे बाद कोई रुख़ मुस्तक़िल नहीं रहा
  
तुम हमसे पूछो वह शामे-माज़ी की तन्हाई
+
वह बेरंग शाम-ए-माज़ी की तन्हाई
कभी कोई इतना दिल में दाख़िल नहीं रहा
+
कभी वो इतना दिल में दाख़िल नहीं रहा
  
तुमने ख़ुद मुझे अपना दोस्त बनाया होता
+
तुमने ख़ुद मुझको दोस्त बनाया होता
तुम्हें तो कोई काम कभी मुश्किल नहीं रहा
+
तुम्हें तो कभी कुछ भी मुश्किल नहीं रहा
  
 
हमसे एक-एक कर सब हाथ छूटते गये
 
हमसे एक-एक कर सब हाथ छूटते गये
मेरे कूचे में वो माहे-कामिल नहीं रहा
+
मेरे कूचे में माहे-कामिल<ref>पूर्णिमा का चाँद</ref> नहीं रहा
  
 
सद्-हैफ़ो-अफ़सोस से कलेजा भर आया
 
सद्-हैफ़ो-अफ़सोस से कलेजा भर आया
 
हाए मुझे सिवा ग़म कुछ हासिल नहीं रहा
 
हाए मुझे सिवा ग़म कुछ हासिल नहीं रहा
  
हमें कोई देता ताक़ते-नज़्ज़ाराए-हुस्न
+
ख़ुदा मुझे दे ताक़ते-नज़्ज़ाराए-हुस्न
सुना है मेरी राह में कोई हाइल नहीं रहा
+
सुना है मेरी राह में हाइल<ref>बाधक</ref> नहीं रहा
  
साँसों का धुँआ दिल को दर्द देता है बहुत
+
साँसों का धुँआ दिल को दर्द दे रहा है
ज़िन्दगी में बाइसे-मसाइल नहीं रहा
+
ज़िन्दगी में बाइसे-मसाइल<ref>कठिनाइयों का कारण</ref> नहीं रहा
  
वो गुफ़्त-गू वो मशविरे वो बयान अपने
+
वो गुफ़्त-गू वो मशविरे वो बयान, ख़ुदा...
ख़ुदा के ज़ख़्म देखे तो मैं बिस्मिल नहीं रहा
+
तेरे ज़ख़्म देखे तो मैं बिस्मिल<ref>घायल</ref> नहीं रहा
  
गर्दिशे-अय्याम की रवानी देखकर
+
गर्दिशे-अय्याम की रवानी को देखकर
मेरा दिले-सौदा मुज़महिल1 नहीं रहा
+
मेरा ये दिले-सौदा मुज़महिल<ref>निष्तेज</ref> नहीं रहा
  
अब इस चमन में फिरती है खुश्क सबा
+
अब तो इस चमन में फिरती है खुश्क सबा
मस्जूदा कोई जल्वाए-गुल नहीं रहा
+
मस्जूदा, कोई जल्वाए-गुल नहीं रहा
  
किसके दिन उम्रभर एक से रहते हैं
+
हाँ, किसके दिन उम्रभर एक से रहते हैं
मुझमें तो वह हुस्ने-अमल नहीं रहा
+
मुझमें तो अब वह हुस्ने-अमल नहीं रहा
  
मेरी काविश2 का किसी राह तो हासिल होगा
+
मेरी काविश<ref>प्रयास</ref> का किसी राह तो हासिल है
हैफ़ मेरे ग़म की कोई मंज़िल नहीं रहा
+
हैफ़ वह मेरे ग़म की मंज़िल नहीं रहा
  
मैं अहदे-ज़ीस्त करके किससे तोड़ूँ
+
बता अहदे-ज़ीस्त<ref>जीवन साथ बिताने का वचन</ref> करके किससे तोड़ूँ
मुझे तफ़रकाए-नाक़िसो-कामिल नहीं रहा
+
मुझे तफ़रकाए-नाक़िसो-कामिल<ref>पूर्णता व अपूर्णता का भेद</ref> नहीं रहा
  
मुझे तुम छोड़कर गये लेकिन क्या बताऊँ
+
मुझे तुम छोड़ के गये लेकिन क्या बताऊँ
एक अरसा बर्क़े-सोज़े-दिल नहीं रहा
+
एक अरसा बर्क़े-सोज़े-दिल<ref>दिल के दर्द के बादल की बिजली</ref> नहीं रहा
  
तुमको जाना है तो जाओ कब हमने रोका है
+
तुमको जाना है तो जाओ कब रोका है
किसी के जाने का ग़म हमें बिल्कुल नहीं रहा
+
इस फ़ुर्क़त का ग़म मुझे बिल्कुल नहीं रहा
  
इस दरया को ख़्वाहिश है समंदर की
+
तेरे इस दरया को ख़्वाहिश है समंदर की
और सहाब का बरसना मुसलसल नहीं रहा
+
और अब्र<ref>बादल</ref> का बरसना मुसलसल<ref>लगातर</ref> नहीं रहा
  
सू-ए-शिर्क सजदे-मस्जूद किये मैंने
+
सू-ए-शिर्क सजदे-मस्जूद किये हैं मैंने
क्योंकि मैं तेरे कूचे का माइल3 नहीं रहा
+
कि मैं तेरे कूचे का माइल<ref>अनुरक्त, आसक्त</ref> नहीं रहा
  
 
अब किससे करूँगा उसकी जफ़ा का शिकवा
 
अब किससे करूँगा उसकी जफ़ा का शिकवा
आज से कोई दराज़ दस्तिए-क़ातिल नहीं रहा
+
अब कोई दराज़ दस्तिए-क़ातिल नहीं रहा
  
इस ज़र्फ़ कोई आये तो देखे हाल बीमार का
+
इस ज़र्फ़<ref>तरफ़</ref> कोई आये देखे हाल मेरा
वो पुरसिशे-जराहते-दिल4 नहीं रहा
+
अब वो पुरसिशे-जराहते-दिल<ref>दिल के ज़ख़्म का हाल पूछने वाला </ref> नहीं रहा
  
 
अच्छा हुआ तुमने रोज़े-आख़िर न बोला
 
अच्छा हुआ तुमने रोज़े-आख़िर न बोला
रोज़े-विदा से कोई उक़्दाए-दिल नहीं रहा
+
बाद रोज़े-विदा उक़्दाए-दिल<ref>दिल की गाँठ, जिसे याद करके मन दुखी हो</ref> नहीं रहा
  
दु:ख गिनते-गिनते उम्र कट जायेगी
+
दुख गिनते-गिनते ये उम्र कट जायेगी
किसी की इनायत किसी का तग़ाफ़ुल नहीं रहा
+
किसी की इनायत वो तग़ाफ़ुल<ref>बातचीत</ref> नहीं रहा
  
फ़िज़ा क्यों इतनी ख़ामोश है गुलशन में
+
ये फ़िज़ा क्यों इतनी ख़ामोश है गुलशन में
 
क्या आशियाँ में नालाए-बुलबुल नहीं रहा
 
क्या आशियाँ में नालाए-बुलबुल नहीं रहा
  
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दिल मुझे ख़्याले-यारे-वस्ल नहीं रहा
 
दिल मुझे ख़्याले-यारे-वस्ल नहीं रहा
  
मैं जिसको दोस्त कह नहीं सकता अब
+
दिल, मैं जिसको दोस्त कह नहीं सकता अब
मुझे उसके लिए जज़्बाए-दिल नहीं रहा
+
उसके लिए मुझमें जज़्बाए-दिल नहीं रहा
  
किसको खरोंचे हो अपने नाख़ून से तुम
+
किसे खरोंचे हो अपने नाख़ून से तुम
इस सीने में कोई जराहते-दिल नहीं रहा
+
इस सीने में वो जराहते-दिल नहीं रहा
  
उर्दी-ओ-दै का अब मैं क्या ख़्याल रखूँ
+
उर्दि-ओ-दै का अब मैं क्या ख़्याल रखूँ
 
ये कैसी जलन, मुझे तपिशे-दिल नहीं रहा
 
ये कैसी जलन, मुझे तपिशे-दिल नहीं रहा
  
अपनी यकताई पर बेहद नाज़ था हमको
+
मुझे अपनी यकताई<ref>जिसके जैसा कोई दूसरा न हो, ऐसा महान</ref> पे बेहद नाज़ था
आज भी है लेकिन वो मुतक़ाबिल नहीं रहा
+
आज भी है लेकिन वो मुक़ाबिल नहीं रहा
  
अब भी खिलती है शुआहाए-ख़ुर-फ़ज़िर  
+
दिल, अब भी खिलती है शुआहाए-ख़ुर-फ़ज़िर
मगर फ़िज़ा में शाहिद-ए-गुल नहीं रहा
+
मगर फ़िज़ा में वो शाहिद-ए-गुल नहीं रहा
  
बहुत ढूँढ़ा हमने उसके जैसा, न पाया एक
+
ढूँढ़ा मैंने उसके जैसा, न पाया एक
वो नमकपाशे-ख़राशे-दिल नहीं रहा
+
सच वो नमकपाशे-ख़राशे-दिल नहीं रहा
  
अब ख़ुल्द में रहें या दोज़ख में रहें हम
+
अब ख़ुल्द<ref>स्वर्ग</ref> में रहें या दोज़ख<ref>नरक</ref> में रहें हम
ऐ सनम मेरा तो आबो-गिल5 नहीं रहा
+
ऐ सनम मेरा तो आबो-गिल<ref>शरीर और आकार</ref> नहीं रहा
  
उस फ़ितनाख़ेज़ का नहीं अब डर मुझको
+
उस फ़ितनाख़ेज़<ref>मुश्किलें लाने वाला</ref> का नहीं है अब डर मुझे
कि मेरे दिल में स’इ-ए-बेहासिल6 नहीं रहा
+
कि मेरे दिल में स’इ-ए-बेहासिल<ref>निष्फल प्रयत्न</ref> नहीं रहा
  
आँखों से निक़ाब उठाओ कि वहम खुल जाये
+
आँखों से निक़ाब हटा दो कि हर वहम खुले
कि तुझमें वो तर्ज़े-तग़ाफ़ुल नहीं रहा
+
आज तुझमें वो तर्ज़े-तग़ाफ़ुल नहीं रहा
  
कहने को तो ज़ामिन नहीं मुझसा ज़माने में
+
कहने को ज़ामिन नहीं मुझसा ज़माने में
पर जाने क्यों मुझे तहम्मुल7 नहीं रहा
+
मगर जाने क्यों मुझे तहम्मुल<ref>दिल की घबराहट, सहनशक्ति</ref> नहीं रहा
  
वो जिसकी चाप से धड़कनें रुक जायें थीं
+
वो जिसकी चाप<ref>क़दमों की आहट</ref> से धड़कनें रुक जायें थीं
ज़िन्दगी में वो हौले-दिल नहीं रहा
+
मेरी ज़िन्दगी में वो हौले-दिल नहीं रहा
  
 
ऐ लोगों मैं ख़ुद को किस ज़ात का बताऊँ
 
ऐ लोगों मैं ख़ुद को किस ज़ात का बताऊँ
सुना है तुममें ज़रा भी दीनो-दिल नहीं रहा
+
सुना है तुममें कुछ दीनो-दिल नहीं रहा
  
दायम अपने बग़ल में पाओगे तुम हमको
+
दायम<ref>सदैव</ref> अपने बग़ल में पाओगे तुम हमें
चाहो तो कह लो मैं तुझमें मुश्तमिल8 नहीं रहा
+
कह भी लो मैं तुझमें मुश्तमिल<ref>शामिल</ref> नहीं रहा
  
क्यों है मुझको तेरे रूठ कर जाने का ग़म
+
क्यों है मुझे तेरे रूठ कर जाने का ग़म
जबकि जानते हो मैं कभी तेरा काइल नहीं रहा
+
जबकि मैं कभी भी तेरा काइल नहीं रहा
  
 
कहता तो हूँ बात दिल की मगर क्या करूँ
 
कहता तो हूँ बात दिल की मगर क्या करूँ
मेरा कोई भी ख़्याल मानिन्दे-गुल नहीं रहा
+
मेरा ख़्याल अब मानिन्दे-गुल नहीं रहा
  
उसकी ख़ामोश आँखों में अयाँ थीं बातें दिल की
+
ख़ामोश आँखों में अयाँ थीं बातें दिल की
 
वो चाहकर भी कभी सू-ए-दिल नहीं रहा
 
वो चाहकर भी कभी सू-ए-दिल नहीं रहा
  
किया जो मैंने तुम्हें अपना समझकर किया
+
किया जो मैंने तुम्हें अपना समझ किया
ये दिल तेरी जफ़ा से मुनफ़’इल9 नहीं रहा
+
ये दिल तेरी जफ़ा से मुनफ़’इल<ref>लज्जित</ref> नहीं रहा
  
मैंने देखा था उसे जाते ख़ुल्द की ओर
+
मैंने देखा था उसको ख़ुल्द जाते हुए
 
वो हलाके-फ़रेब-वफ़ा-ए-गुल नहीं रहा
 
वो हलाके-फ़रेब-वफ़ा-ए-गुल नहीं रहा
  
 
जो कभी साहिल पर था कभी समंदर में
 
जो कभी साहिल पर था कभी समंदर में
उसको दाग़े-हसरते-दिल नहीं रहा
+
हाँ, उसको दाग़े-हसरते-दिल नहीं रहा
  
 
जिसपे लिखा करते थे तुम अपना नाम
 
जिसपे लिखा करते थे तुम अपना नाम
 
शख़्स वो आज गर्दे-साहिल नहीं रहा
 
शख़्स वो आज गर्दे-साहिल नहीं रहा
  
आज फ़ारिग10 हूँ कि तुम हो मेरे ग़मख़्वार
+
आज फ़ारिग<ref>निश्चिंत</ref> हूँ कि तुम्हीं हो मेरे ग़मख़्वार
मैं हरीफ़े-मतलबे-मुश्किल11 नहीं रहा
+
सो मैं हरीफ़े-मतलबे-मुश्किल<ref>कठिन काम कर लेने वाला</ref> नहीं रहा
  
था तो थोड़ा बहुत मैं ये मानता हूँ लेकिन
+
कुछ था तो थोड़ा बहुत मैं ये मानता हूँ पर
 
आज उतना भी तो सोज़िशे-दिल नहीं रहा
 
आज उतना भी तो सोज़िशे-दिल नहीं रहा
  
मैं दर्द को दिल से जुदा कर सकता हूँ
+
मैं दर्द को दिल से जुदा कर तो सकता हूँ
पर फ़ुसूने-ख़्वाहिशे-सैक़ल12 नहीं रहा
+
पर वो फ़ुसूने-ख़्वाहिशे-सैक़ल<ref>परिष्कृति की अभिलाषा का जादू</ref> नहीं रहा
  
 
अब मैं किस मुँह से जाऊँ बज़्म में उसकी
 
अब मैं किस मुँह से जाऊँ बज़्म में उसकी
ये दिल दरख़ुर-ए-महफ़िल13 नहीं रहा
+
शैदा ये दिल दरख़ुर-ए-महफ़िल<ref>महफ़िल के योग्य</ref> नहीं रहा
  
देखिए शाइबाए-ख़ूबिए-तक़दीर14 उसमें
+
देखिए शाइबाए-ख़ूबिए-तक़दीर<ref>सौभाग्य की झलक</ref> उसमें
वो दिन गया कि रोज़े-अजल नहीं रहा
+
वो दिन गये और रोज़े-अजल नहीं रहा
  
इश्क़ फिरता था उस रोज़ गलियों-गलियों
+
इश्क़ भटकता था उस रोज़ गलियों-गलियों
 
आज किसी में इतना भी ख़लल नहीं रहा
 
आज किसी में इतना भी ख़लल नहीं रहा
  
बढ़के आया तो लगा तेरा तीर इस दिल में
+
बढ़के आया तो लगा तेरा तीर दिल में
चारासाज़ न हुआ पर जाँगुसिल15 नहीं रहा
+
चारासाज़ न हुआ पर जाँगुसिल<ref>जानलेवा, दुखदायी</ref> नहीं रहा
  
किसपे लिखके भेजूँ मैं तुझे पयाम अपना
+
किसपे लिख भेजूँ मैं तुझे पयाम अपना
पास औराक़े-लख़्ते-दिल नहीं रहा
+
अब पास औराक़े-लख़्ते-दिल नहीं रहा
  
आस्माँ के पार जाने की तमन्ना थी उसको
+
उसे आस्माँ तक जाने की तमन्ना थी
पर आइना-ए-बेमेहरि-ए-क़ातिल16 नहीं रहा
+
पर आइना-ए-बेमेहरि-ए-क़ातिल<ref>माशूक़ की बेरहमी का सुबूत</ref> नहीं रहा
  
मेरे मुँह से न सुनो वज्हे-सुखन ईसा
+
तू मेरे मुँह से न सुन वज्हे-सुखन ईसा
 
ख़ुद गुलों में रंगे-अदा-ए-गुल नहीं रहा
 
ख़ुद गुलों में रंगे-अदा-ए-गुल नहीं रहा
  
 
मगर टूटा है किसी का नाज़ुक दिल मुझसे
 
मगर टूटा है किसी का नाज़ुक दिल मुझसे
ये डर कि मैं क़ाबिले-सुम्बुल नहीं रहा
+
ये डर कि मैं अब क़ाबिले-सुम्बुल नहीं रहा
  
अब कोई रहनुमा नहीं रहे-इश्क़ में
+
मेरा कोई रहनुमा नहीं रहे-इश्क़ में
तुम ख़ुश रहो तेरी राह में साइल17 नहीं रहा
+
तुम ख़ुश रहो कि राह में साइल<ref>उम्मीदवार, प्रश्नकर्ता</ref> नहीं रहा
 
+
'''शब्दार्थ:
+
 
+
१. निष्तेज २. कोशिश, द्वेष ३. अनुरक्त, आसक्त ४. दिल के ज़ख़्म का हाल पूछने वाला ५. शरीर और आकार
+
६. निष्फल प्रयत्न ७. दिल की घबराहट, सहनशक्ति ८. शामिल ९. लज्जित १०. निश्चिंत ११. कठिन काम कर लेने वाला
+
१२. परिष्कृति की अभिलाषा का जादू १३. महफ़िल के योग्य १४. सौभाग्य की झलक १५. जानलेवा, दुखदायी
+
१६. माशूक़ की बेरहमी का सुबूत १७. उम्मीदवार, प्रश्नकर्ता
+
  
 +
{{KKMeaning}}
 
</poem>
 
</poem>

19:29, 15 मार्च 2011 के समय का अवतरण


लेखन वर्ष: 2005

अब ‘विनय’ तेरे ग़म से ग़ाफ़िल नहीं रहा
देख तो वह मग़रूर संगदिल नहीं रहा

हमें शिबासी दो कि तेरा राज़ न खोला
पर जानाँ आज से मैं बातिल नहीं रहा

तेरी कही-सुनी सब मुझे वक़्त ने भुला दी
ये ग़ैर अब दुश्मनी के क़ाबिल नहीं रहा

हमें जब नाज़ थे तो ये दर्द किसलिए हैं
तेरे बाद कोई रुख़ मुस्तक़िल नहीं रहा

वह बेरंग शाम-ए-माज़ी की तन्हाई
कभी वो इतना दिल में दाख़िल नहीं रहा

तुमने ख़ुद मुझको दोस्त बनाया होता
तुम्हें तो कभी कुछ भी मुश्किल नहीं रहा

हमसे एक-एक कर सब हाथ छूटते गये
मेरे कूचे में माहे-कामिल<ref>पूर्णिमा का चाँद</ref> नहीं रहा

सद्-हैफ़ो-अफ़सोस से कलेजा भर आया
हाए मुझे सिवा ग़म कुछ हासिल नहीं रहा

ख़ुदा मुझे दे ताक़ते-नज़्ज़ाराए-हुस्न
सुना है मेरी राह में हाइल<ref>बाधक</ref> नहीं रहा

साँसों का धुँआ दिल को दर्द दे रहा है
ज़िन्दगी में बाइसे-मसाइल<ref>कठिनाइयों का कारण</ref> नहीं रहा

वो गुफ़्त-गू वो मशविरे वो बयान, ख़ुदा...
तेरे ज़ख़्म देखे तो मैं बिस्मिल<ref>घायल</ref> नहीं रहा

गर्दिशे-अय्याम की रवानी को देखकर
मेरा ये दिले-सौदा मुज़महिल<ref>निष्तेज</ref> नहीं रहा

अब तो इस चमन में फिरती है खुश्क सबा
मस्जूदा, कोई जल्वाए-गुल नहीं रहा

हाँ, किसके दिन उम्रभर एक से रहते हैं
मुझमें तो अब वह हुस्ने-अमल नहीं रहा

मेरी काविश<ref>प्रयास</ref> का किसी राह तो हासिल है
हैफ़ वह मेरे ग़म की मंज़िल नहीं रहा

बता अहदे-ज़ीस्त<ref>जीवन साथ बिताने का वचन</ref> करके किससे तोड़ूँ
मुझे तफ़रकाए-नाक़िसो-कामिल<ref>पूर्णता व अपूर्णता का भेद</ref> नहीं रहा

मुझे तुम छोड़ के गये लेकिन क्या बताऊँ
एक अरसा बर्क़े-सोज़े-दिल<ref>दिल के दर्द के बादल की बिजली</ref> नहीं रहा

तुमको जाना है तो जाओ कब रोका है
इस फ़ुर्क़त का ग़म मुझे बिल्कुल नहीं रहा

तेरे इस दरया को ख़्वाहिश है समंदर की
और अब्र<ref>बादल</ref> का बरसना मुसलसल<ref>लगातर</ref> नहीं रहा

सू-ए-शिर्क सजदे-मस्जूद किये हैं मैंने
कि मैं तेरे कूचे का माइल<ref>अनुरक्त, आसक्त</ref> नहीं रहा

अब किससे करूँगा उसकी जफ़ा का शिकवा
अब कोई दराज़ दस्तिए-क़ातिल नहीं रहा

इस ज़र्फ़<ref>तरफ़</ref> कोई आये देखे हाल मेरा
अब वो पुरसिशे-जराहते-दिल<ref>दिल के ज़ख़्म का हाल पूछने वाला </ref> नहीं रहा

अच्छा हुआ तुमने रोज़े-आख़िर न बोला
बाद रोज़े-विदा उक़्दाए-दिल<ref>दिल की गाँठ, जिसे याद करके मन दुखी हो</ref> नहीं रहा

दुख गिनते-गिनते ये उम्र कट जायेगी
किसी की इनायत वो तग़ाफ़ुल<ref>बातचीत</ref> नहीं रहा

ये फ़िज़ा क्यों इतनी ख़ामोश है गुलशन में
क्या आशियाँ में नालाए-बुलबुल नहीं रहा

था तब मिला नहीं, खोकर मिलता है कौन
दिल मुझे ख़्याले-यारे-वस्ल नहीं रहा

दिल, मैं जिसको दोस्त कह नहीं सकता अब
उसके लिए मुझमें जज़्बाए-दिल नहीं रहा

किसे खरोंचे हो अपने नाख़ून से तुम
इस सीने में वो जराहते-दिल नहीं रहा

उर्दि-ओ-दै का अब मैं क्या ख़्याल रखूँ
ये कैसी जलन, मुझे तपिशे-दिल नहीं रहा

मुझे अपनी यकताई<ref>जिसके जैसा कोई दूसरा न हो, ऐसा महान</ref> पे बेहद नाज़ था
आज भी है लेकिन वो मुक़ाबिल नहीं रहा

दिल, अब भी खिलती है शुआहाए-ख़ुर-फ़ज़िर
मगर फ़िज़ा में वो शाहिद-ए-गुल नहीं रहा

ढूँढ़ा मैंने उसके जैसा, न पाया एक
सच वो नमकपाशे-ख़राशे-दिल नहीं रहा

अब ख़ुल्द<ref>स्वर्ग</ref> में रहें या दोज़ख<ref>नरक</ref> में रहें हम
ऐ सनम मेरा तो आबो-गिल<ref>शरीर और आकार</ref> नहीं रहा

उस फ़ितनाख़ेज़<ref>मुश्किलें लाने वाला</ref> का नहीं है अब डर मुझे
कि मेरे दिल में स’इ-ए-बेहासिल<ref>निष्फल प्रयत्न</ref> नहीं रहा

आँखों से निक़ाब हटा दो कि हर वहम खुले
आज तुझमें वो तर्ज़े-तग़ाफ़ुल नहीं रहा

कहने को ज़ामिन नहीं मुझसा ज़माने में
मगर जाने क्यों मुझे तहम्मुल<ref>दिल की घबराहट, सहनशक्ति</ref> नहीं रहा

वो जिसकी चाप<ref>क़दमों की आहट</ref> से धड़कनें रुक जायें थीं
मेरी ज़िन्दगी में वो हौले-दिल नहीं रहा

ऐ लोगों मैं ख़ुद को किस ज़ात का बताऊँ
सुना है तुममें कुछ दीनो-दिल नहीं रहा

दायम<ref>सदैव</ref> अपने बग़ल में पाओगे तुम हमें
कह भी लो मैं तुझमें मुश्तमिल<ref>शामिल</ref> नहीं रहा

क्यों है मुझे तेरे रूठ कर जाने का ग़म
जबकि मैं कभी भी तेरा काइल नहीं रहा

कहता तो हूँ बात दिल की मगर क्या करूँ
मेरा ख़्याल अब मानिन्दे-गुल नहीं रहा

ख़ामोश आँखों में अयाँ थीं बातें दिल की
वो चाहकर भी कभी सू-ए-दिल नहीं रहा

किया जो मैंने तुम्हें अपना समझ किया
ये दिल तेरी जफ़ा से मुनफ़’इल<ref>लज्जित</ref> नहीं रहा

मैंने देखा था उसको ख़ुल्द जाते हुए
वो हलाके-फ़रेब-वफ़ा-ए-गुल नहीं रहा

जो कभी साहिल पर था कभी समंदर में
हाँ, उसको दाग़े-हसरते-दिल नहीं रहा

जिसपे लिखा करते थे तुम अपना नाम
शख़्स वो आज गर्दे-साहिल नहीं रहा

आज फ़ारिग<ref>निश्चिंत</ref> हूँ कि तुम्हीं हो मेरे ग़मख़्वार
सो मैं हरीफ़े-मतलबे-मुश्किल<ref>कठिन काम कर लेने वाला</ref> नहीं रहा

कुछ था तो थोड़ा बहुत मैं ये मानता हूँ पर
आज उतना भी तो सोज़िशे-दिल नहीं रहा

मैं दर्द को दिल से जुदा कर तो सकता हूँ
पर वो फ़ुसूने-ख़्वाहिशे-सैक़ल<ref>परिष्कृति की अभिलाषा का जादू</ref> नहीं रहा

अब मैं किस मुँह से जाऊँ बज़्म में उसकी
शैदा ये दिल दरख़ुर-ए-महफ़िल<ref>महफ़िल के योग्य</ref> नहीं रहा

देखिए शाइबाए-ख़ूबिए-तक़दीर<ref>सौभाग्य की झलक</ref> उसमें
वो दिन गये और रोज़े-अजल नहीं रहा

इश्क़ भटकता था उस रोज़ गलियों-गलियों
आज किसी में इतना भी ख़लल नहीं रहा

बढ़के आया तो लगा तेरा तीर दिल में
चारासाज़ न हुआ पर जाँगुसिल<ref>जानलेवा, दुखदायी</ref> नहीं रहा

किसपे लिख भेजूँ मैं तुझे पयाम अपना
अब पास औराक़े-लख़्ते-दिल नहीं रहा

उसे आस्माँ तक जाने की तमन्ना थी
पर आइना-ए-बेमेहरि-ए-क़ातिल<ref>माशूक़ की बेरहमी का सुबूत</ref> नहीं रहा

तू मेरे मुँह से न सुन वज्हे-सुखन ईसा
ख़ुद गुलों में रंगे-अदा-ए-गुल नहीं रहा

मगर टूटा है किसी का नाज़ुक दिल मुझसे
ये डर कि मैं अब क़ाबिले-सुम्बुल नहीं रहा

मेरा कोई रहनुमा नहीं रहे-इश्क़ में
तुम ख़ुश रहो कि राह में साइल<ref>उम्मीदवार, प्रश्नकर्ता</ref> नहीं रहा

शब्दार्थ
<references/>