भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अमरघोट / मधु आचार्य 'आशावादी'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

राजनीति मांय
हर नेता खेलै अमरघोट
जिण मांय मारणा पड़ै
खाली सोट ई सोट
पैलां सागै रैवै
पारटी बणावै
अर राज मांय पूग जावै।
सीर मांय हुवै दुभांत
तो अमरघोट सरू हुय जावै
लारै सूं मारण आळो
ओ खिल
नेतावां खातर ई बण्यो है
जिण मांय साम्हीं नीं
पीठ पर मारणो पड़ै
अर माय ‘र भागणो पड़ै
नेतावां रो खिल
मिलै तो बै-मेळ
पण मिलै अमरघोट खातर
बार-बार खेलै
जनता बापड़ी मार झेलै।