भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अमर उडीक (कविता) / मधु आचार्य 'आशावादी'

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 29 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी' |संग्रह=अमर उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उण दिन
डाकियो अेक कागद लायो
जिण माथै रामूड़ै रो नांव
लाग्यो हुसी कोई बडो काम
पैलो कागद आयो हो
उणरै नांव रो
सगळां नै उणरै घर आळां री उडीक
रामू आवै
कद कागद बांचै
बांचै जद बतावै
कांई समाचार है
छोरै नै भेज उणनै बुलायो
कागद रो रोणो बतायो
रामू कागद देख्यो
मधरो-सो मुळक्यो
खोल’र बांच्यो अर बतायो
डाक्टरी पढण रो रिजल्ट हो
बो हुयग्यो पास
आ बतावतां ई
सगळा राजी हुयग्या
थोड़ी ताळ मांय ई
आखो गांव हो रामू रै घर मांय
लाड हुया, कोड हुया
आखै गांव मनाई खुसी
इण गांव सूं कोई पैलो डाक्टर हुसी
इण बात रो हो कोड
आखै गांव उणनै दी
स्हैर सारू विदाई
मा री आंख्यां भरीजगी
चार बरस बीतग्या
रामू गांव नीं आयो
गांव सूं खाली पईसा जावता
अेक दिन फेरूं डाक आई
मा मास्टरजी नै बुला’र बंचाई
रामू डाक्टर बणग्यो
पण नीं आवण री बात कैयी
आ बताई
म्हैं स्हैर मांय ई बसग्यो
डाक्टर बणण री खुसी
बसण री बात उण सूं ज्यादा
करगी दुखी
बो दिन अर आज रो दिन
रामू गांव नीं आयो
मा री उडीक
अमर उडीक हुयगी
बस आंख्यां मांय ई रैयगी।