भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अमृत -चुम्बन / कविता भट्ट

534 bytes added, 01:56, 14 जुलाई 2018
[[Category:चोका]]
<poem>
 
बरखा- सी माँ !
जीवन- तल पर
नित बरसी
बिन अपेक्षा के ही,
सदैव तूने
शांत किए संताप
जो थे अपने
पलकों के सपने
उनींदी मुझे
सब छोड़ ही गए,
थे संग मेरे
'''तेरे अमृत -चुम्बन'''
पीकर सुधा
तेरे स्नेह की सदा
हो गई मैं अजर ।
</poem>