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अयोध्या / महेंद्र कुमार ठाकुर

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1.
वो हर
जोन क़तल हुइस
बेटा रहिस कखरो
हाथ काटे गइस जेकर
मनखे रहीस
लुटिस इज्जत
जेखर बेटी के
तीन बाप रहिस
फूटिस चूड़ी जेकर
जोड़ी रहिस कखरो
उजाड़िस जेखर कोख
महतारी रहीस सबके।

2.
रोज बिहनिया
जोन आवाज दे
बलाये मोला
मिलावत रहिस हाथ
लगत रहिस टोटा ले
आज घलो
वो हर
संकरी ला खटखटाइस
मोला
मोर नाव ले के बलाइस
तहां ल फेर
सोचे लंगेव में
का हे मितान के ज्ञान
वोकर धरम
में ह डरा गेंव

ठोठकिस मोर हांथ
मोर मितान के
चकराये
मया भरे आंखी मा
भर जाथे कोनो डर

3.
सिराथे
जोन मेर
मंदिर
राम ह
शुरुबाथे वो मेर ले
सिराथे
जोन तिर राम
मस्जिद
शुरुवाथे
वो मेर ले

4.
रोज बिहनिया
इसकुल भेजत
कहत रहिस महतारी
करेजा
बने मन लगा के पढ़बे
अब कहिथे दाई
करेजा
थोड़कुन सम्हल के
इसकुल जाबे
छुट्टी होही तहां ले
सोझ घर आबे |