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मार्शल की परिभाषा को भी,दोष -मुक्त हम कह न सकेंगे।इस युग की परिभाषाओं में,
सर्वश्रेष्ठ हम कह न सकेंगे ॥26॥
कहता है रोबिन्स कि मार्शल,
की परिभाषा सत्य नहीं है।
‘भौतिक’ और ‘अभौतिकता’ का
भौतिक सुख की सीमाओं में,
अर्थशास्त्र क्या बंध बँध सकता है।
भौतिकता से दूर क्रियाओं,
से भी तो जीवन सधता है ॥29॥
उचित नहीं उद्देश्य एक बस,
मानव की कल्याण साध्ना।साधना।
द्रव्य तराजू लिए हाथ में,
मानव का कल्याण आँकना ॥30॥
मानव की गठरी के अन्दर,
इच्छाओं का बोझ बंध बँधा है।
एक चाह पूरी होते ही,
नव इच्छा का रूप सजा है ॥33॥
इच्छाएँ अनन्त हैं साथी,साथी !
लेकिन साधन तो हैं सीमित।
साधन की तुलना में रहती,
वैकल्पिक रूपों में होता।
इच्छा का अपना स्वरूप नित,
नयेनए-नये नए सपनों में होता ॥35॥
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