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"अलअमाँ मेरे ग़मकदे की शाम / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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सुर्ख़ शोअ़ला सियाह हो जाये॥
 
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पाक निकले वहाँ से कौन जहाँ ।
 
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उज़्रख़्वाही गुनाह हो जाये॥  
 
उज़्रख़्वाही गुनाह हो जाये॥  
 
  
 
इन्तहाये-करम वो है कि जहाँ।
 
इन्तहाये-करम वो है कि जहाँ।
 
बेगुनाही गुनाह हो जाये॥
 
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23:35, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

अलअमाँ मेरे ग़मकदे की शाम।
सुर्ख़ शोअ़ला सियाह हो जाये॥

पाक निकले वहाँ से कौन जहाँ ।
उज़्रख़्वाही गुनाह हो जाये॥

इन्तहाये-करम वो है कि जहाँ।
बेगुनाही गुनाह हो जाये॥