भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
अलविदा मेरे प्यार, अलविदा दुर्भाग्य
मुक्त हो गईं तुम, यह था है मेरा कुभाग्य
वो आसमानी प्रेम, बस, कुछ देर झलका
फिर उस पर काला अन्धेरा-सा छलका
और अब हमेशा के लिए तिमिर उसपर ढलका ।
समुद्र की निगाह सी थी ज्यों गहरी तेरी वो नज़र
गर्म थी, हरी थी, खिला बादाम का शजर
पैरों के नीचे हमारे, जो फूल दब गए थे
एक बार फिर खिले वो, फिर से फब गए थे
तेरी याद आ रही थीहै, मुझे भरमा रही थी है
मुरमेलोन के पास था हूँ मैं, यह है वह इलाका
जहाँ विरह में मधुपान कर, मुझ जैसा छैला-बाँका
गोलाबारी से घिरा है, झेले गोलों का धमाका
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,171
edits