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"अल्लाह की जात-अल्लाह के रंग / अमित कल्ला" के अवतरणों में अंतर

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इसक
 
इसक

00:04, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

इसक
की
कुछ आहट
जरुर लगती है

जिधर देखो
असंख्य दृश्य
अपने सा
अर्थ देते

पढ़-पढ़कर
नन्हे निवेदन
केवडे के फूल
उस अपार नूर का
चुग्गा चुग जाते

अकह को कहकर
अगह को गहकर
कैसी कैसी
गनिमते गिनते हैं

दबा-दबाकर
गहरी रेत में
कितना पकाया जाता
भरी-भरी आँखों के सामने ही
बाहर निकल
पी जाते
अमर बूटी
मीठा महारस

तभी तो
हर इक
चेहरे को

ज्यों की त्यों
अल्लाह की जात
अल्लाह के रंग
का
पता देते हैं
इसक
की