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अशक्‍त / कुमार मुकुल

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तोता राम
भरते हो सदा
मुक्‍त उड़ान

चिंताओं से कैसे
पा जाते त्राण

कैसा है तेरा देश
क्‍यों नहीं तुममें लेश राग-द्वेष

हो कितने अशक्‍त

स्‍वजनों का भी
नहीं बहा पाते रक्‍त।