भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अश्क आंखों में कब नहीं आता / मीर तक़ी 'मीर'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
अश्क आंखों में  कब नहीं आता  
 
अश्क आंखों में  कब नहीं आता  
  
लहू आता है जब  नहीं आता
+
लहू आता है जब  नहीं आता।
  
  
 
होश जाता नहीं रहा लेकिन
 
होश जाता नहीं रहा लेकिन
  
जब वो आता है तब नहीं आता
+
जब वो आता है तब नहीं आता।
  
  
 
दिल से रुखसत हुई कोई ख्वाहिश
 
दिल से रुखसत हुई कोई ख्वाहिश
  
गिरिया कुछ बे-सबब नहीं आता
+
गिरिया कुछ बे-सबब नहीं आता।
  
  
 
इश्क का हौसला है शर्त वरना
 
इश्क का हौसला है शर्त वरना
  
बात का किस को धब नहीं आता
+
बात का किस को धब नहीं आता।
  
  
 
जी में क्या-क्या है अपने ऐ हमदम
 
जी में क्या-क्या है अपने ऐ हमदम
  
हर सुखन ता-ब-लब  नहीं आता
+
हर सुखन ता बा-लब  नहीं आता।

01:14, 29 जून 2009 का अवतरण

अश्क आंखों में कब नहीं आता

लहू आता है जब नहीं आता।


होश जाता नहीं रहा लेकिन

जब वो आता है तब नहीं आता।


दिल से रुखसत हुई कोई ख्वाहिश

गिरिया कुछ बे-सबब नहीं आता।


इश्क का हौसला है शर्त वरना

बात का किस को धब नहीं आता।


जी में क्या-क्या है अपने ऐ हमदम

हर सुखन ता बा-लब नहीं आता।