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अस्तित्व / गुलाब खंडेलवाल

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या नित नया हूँ मैं.
मैं जो आज हँसता हूँ, बोलता हूँ,
जीवन में पुस्तक के नये पृष्ठ क्षण-क्षण रहस्य नये खोलता हूँ
मैं स्वयं हूँ भी या नहीं हूँ,
यही प्रश्न है.
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