भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अहाँक गाम कतऽ अछि? / शेफालिका वर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अहाँक गाम कतऽ अछि
प्रश्न सुनिते अकचका गेलौं हम
कनिक काल सोचैत ---
हमर गाम ??
वएह ने जइ ठाम अपन घर होइ छै?
हँ हँ वएह घर ,वएह गाम !
हमरा तेँ दू टा गाम अछि ..
एकटा जतऽ सँ हम आएल छी
दोसर हम जतऽ एलौं अछि
मुदा, ऐमे हमर कोन अछि
हम नै बूझै छी जतऽ सँ हम एलौं
ओतऽ सँ सनेस-बारी दऽ हमरा विदा
कऽ देल गेल “जाह अपन घर बेटी”
जइ ठाम आएल छी ओइठाम सभ
सनेस-बारी बिल्हल गेल
“कनियाक गामसँ आएल छै”
हम की जानऽ गेलौं हमर गाम कोन थीक
हमरा नाम पर तँ कत्तौ किछु नै
भरल-पुरल घरमे हमर अस्तित्व किछु नै
बस “फलना गामवाली” बनि रहि गेलौं
जइ ठामसँ आएल छलौं
ओइ गामक ठप्पा बनल रहि गेलौं...