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आँखों के पृष्ठों पर / कविता भट्ट

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कहूँगी यदि-
तो कटु सत्य होगा,
प्रिय! सुनो ना !
दृष्टि उठाकर के
प्रेम -कक्षा के
कमजोर विद्यार्थी
तुम हो अभी
मेरी आँखों के पृष्ठ,
पीड़ा-संघर्ष
उद्वेग-विषाद-हर्ष
जैसे अध्याय
पढ़ने में बीतेंगे
अनेक वर्ष
और संभव है कि
पूरा जीवन
तुम पढ़ न सको
किन्तु नाटक
पढ़ने का ही करो
तुम न जगोगे
अध्यायों की खातिर,
मेरी उनींदी
मन की कलम ने
लिखे रातों को
आँखों के पृष्ठों पर
लाल अक्षर
तुम्हें लगन तो है;
किन्तु पढ़ोगे
उतना ही तुम बस
जरूरी है जो,
जग-पाठ्यक्रम में -
भोग-देह का
रोपना, जन्म देना
डूबी अब भी
लिखने में वेदना
जानती हूँ मैं-
रक्तिम अक्षरों को
कोई नहीं पढ़ेगा !

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