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"आँख ये धन्य है / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर" के अवतरणों में अंतर

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09:00, 10 जनवरी 2015 का अवतरण

आँख ये धन्य है (कविता संग्रह)

सर झुकाने की बारी आये
ऐसा मैं कभी नहीं करूँगा
पर्वत की तरह अचल रहूँ
व नदी के बहाव सा निर्मल
........
शृंगारित शब्द नहीं मेरे
नाभि से प्रकटी वाणी हूँ
...............

मेरे एक एक कर्म के पीछे
ईश्वर का हो आशीर्वाद
............