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"आँख से आँख मिलाता है कोई / शकील बँदायूनी" के अवतरणों में अंतर

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वा-ए-हैरत के भरी महफ़िल में
दिल को खीँचे लिये जाता है कोई <br><br>
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मुझ को तन्हा नज़र आता है कोई
  
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चाहिये ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल
मुझ को तन्हा नज़र आता है कोई<br><br>
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वरना आता है न जाता है कोई<br><br>
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18:41, 13 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

आँख से आँख मिलाता है कोई
दिल को खीँचे लिये जाता है कोई

वा-ए-हैरत के भरी महफ़िल में
मुझ को तन्हा नज़र आता है कोई

चाहिये ख़ुद पे यक़ीन-ए-कामिल
हौसला किस का बढ़ाता है कोई

सब करिश्मात-ए-तसव्वुर है "शकील"
वरना आता है न जाता है कोई