भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आँधी को रोका / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आँधी को रोका
फूत्कार भय त्यागा
नागों को नाथा
यह कैसे हो पाता
बिना तुम्हारे
हम जी पाते कैसे
बिना सहारे !
दंशित नस-नस
चूमके घाव
तुमने मन्त्र पढ़े
विष सदा उतारा