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आँधी को रोका / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

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आँधी को रोका
फूत्कार भय त्यागा
नागों को नाथा
यह कैसे हो पाता
बिना तुम्हारे
हम जी पाते कैसे
बिना सहारे !
दंशित नस-नस
चूमके घाव
तुमने मन्त्र पढ़े
विष सदा उतारा