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आइडेंटिटी क्राइसिस / पंकज कुमार

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एखनहुँ सत्य यएह थिक जे
अहाँकेँ चिन्हैत अछि
अहीँ सन दू-चारि गोट
अनेरुआ अनरनेबा सभ

तेँ राता-राती स्टार बनबाक ब्योंत मे
हो-हो केनाय शुरू क' दैत छी
नापाक देसक जयघोष करय बाली
अलबोक सभक समर्थनमे

वस्तुतः
अहाँकेँ ई बुझबाक चाही
जे आमक फल खयबाक लेल
ओकरे जड़िमे देमय पड़ैत छैक खाद-पानि
फराक सँ लगाओल बंसबिट्टी
क' दैत छैक समूल नाश

ओकर मंदिर-मसजिदक मुद्दाक सोझा
अहाँक ई काज अछि
हरिवासेक बिहान भने
कोनो लटुआयल-पटुआयल
भूखायल मनुक्खक लेल
अनोनहा भुजियाक जोगार जकाँ अनसोहाँत

पाउज करय दियौक न बरद सभकेँ
अहाँक एहन बौद्धिक प्रयास
पानक पीतक संगहि
आबि जाइत अछि बाहर
तेँ देखार होइत छी अहाँ बेर-बेर

देसक राजधानीक लग्जरी कॉपी हाउसमे
होमय बला चर्चाक बाद
बढ़ि जाइत अछि अहाँक चश्माक नम्बर
बिसरा जाइत अछि
सभटा आन मुद्दा सभ आ
लोकैत रहैत छी अलाय-बलाय
विमर्श करबाक लेल

गरीब-गुरबाहक एहि देसमे
ग्लोबल सिटिजनशिपक थेथरलॉजी केँ
मात्र बकलोली कहल जा सकैछ

जँ बचा सकैत छी
अपन मूल विचारधारा केँ
तँ बचा लिय'
नहि तँ जल्दीए उखरि जायब
बाड़ीक मुरइ जकाँ
किएक खायल भ' गेल अछि आब
अहीँक अप्पन लोक केँ
जे उठाओने छथि अहाँक झंडा

नारा फेकि क' भीड़क
हृदयक परिवर्तन करबाक क्षमता
अहाँ में नहि अछि
किएक ओहि लेल
बनय पड़ैत छैक बुध्द।