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आइना सामने रखा होगा / अभिषेक कुमार अम्बर

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आइना सामने रखा होगा
उस का चेहरा मगर झुका होगा

कैसे पाला है बेटे को मैं ने
भूल जाएगा जब बड़ा होगा

शाइ'री जाम और तन्हाई
हिज्र की शब में और क्या होगा

एक अर्से से सुनते आए हैं
जल्द ही देश का भला होगा

था न मा'लूम साथ रह कर भी
दरमियान इतना फ़ासला होगा

ये मोहब्बत का खेल है जानाँ
इस की हर चाल में मज़ा होगा

देख हालात मुफ़लिसों के यहाँ
मैं नहीं मानता ख़ुदा होगा

होंगी जिस घर में बेटियाँ यारो
उस का माहौल ख़ुशनुमा होगा

सुब्ह के तीन बज गए 'अम्बर'
उठ जा 'राहुल' भी उठ गया होगा