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"आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे / गा़लिब" का अवतरण इतिहास

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  • (सद्य | पिछला) 22:03, 7 मार्च 2010Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान). . (126 बाइट) (+126). . (आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे / गा़लिब का नाम बदलकर आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे / ग़ालि)