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"आओ कुछ देर गले लग लें ठहर के / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=कुछ और गुलाब  / गुलाब खंडेलवाल
 
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[[category: ग़ज़ल]]
 
<poem>
 
  
आओ कुछ देर गले लग लें ठहर के
 
होते यहीं से अलग रास्ते सफ़र के
 
 
दर्द दिल का तो नहीं बाँट सका कोई
 
आये जो दोस्त, गए आहें भर-भर के
 
 
हमको तूफ़ान के थपेडों का डर क्या!
 
नाव यह रही है सदा बीच में भँवर के
 
 
दिल से क्यों उनका ख़याल मिट न पाता
 
खेल प्यार के वे अगर खेल थे नज़र के!
 
 
यह भी, गुलाब! खिलने में कोई खिलना
 
मिल न पायीं थीं निगाहें भी अभी, सरके!
 
<poem>
 

23:38, 12 अगस्त 2011 के समय का अवतरण