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"आओ फिर से दिया जलाएँ / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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− | आओ फिर से दिया | + | आओ फिर से दिया जलाएँ <br> |
भरी दुपहरी में अंधियारा<br> | भरी दुपहरी में अंधियारा<br> | ||
− | सूरज | + | सूरज परछाई से हारा<br> |
अंतरतम का नेह निचोड़ें-<br> | अंतरतम का नेह निचोड़ें-<br> | ||
− | बुझी हुई बाती | + | बुझी हुई बाती सुलगाएँ।<br> |
− | आओ फिर से दिया | + | आओ फिर से दिया जलाएँ<br><br> |
हम पड़ाव को समझे मंज़िल<br> | हम पड़ाव को समझे मंज़िल<br> | ||
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल<br> | लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल<br> | ||
वतर्मान के मोहजाल में-<br> | वतर्मान के मोहजाल में-<br> | ||
− | आने वाला कल न | + | आने वाला कल न भुलाएँ।<br> |
− | आओ फिर से दिया | + | आओ फिर से दिया जलाएँ।<br><br> |
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा<br> | आहुति बाकी यज्ञ अधूरा<br> | ||
अपनों के विघ्नों ने घेरा<br> | अपनों के विघ्नों ने घेरा<br> | ||
अंतिम जय का वज़्र बनाने-<br> | अंतिम जय का वज़्र बनाने-<br> | ||
− | नव दधीचि हड्डियां | + | नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।<br> |
− | आओ फिर से दिया | + | आओ फिर से दिया जलाएँ<br><br> |
17:41, 29 अप्रैल 2008 का अवतरण
आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अंधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल
वतर्मान के मोहजाल में-
आने वाला कल न भुलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ।
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने-
नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।
आओ फिर से दिया जलाएँ