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आओ रानी / नागार्जुन

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रचनाकार: [[नागार्जुन]]{{KKGlobal}}[[category:कविताएँ]]{{KKRachna[[category:|रचनाकार=नागार्जुन]] }}{{KKCatKavita‎}}~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~{{KKPrasiddhRachna}}<poem>
आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी,
 
यही हुई है राय जवाहरलाल की
 
रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की
 
यही हुई है राय जवाहरलाल की
 आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी ! 
आओ शाही बैण्ड बजायें,
 
आओ बन्दनवार सजायें,
 
खुशियों में डूबे उतरायें,
 
आओ तुमको सैर करायें--
 
उटकमंड की, शिमला-नैनीताल की
 आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी ! 
तुम मुस्कान लुटाती आओ,
 
तुम वरदान लुटाती जाओ,
 आओ जी चांदी चाँदी के पथ पर, 
आओ जी कंचन के रथ पर,
 
नज़र बिछी है, एक-एक दिक्पाल की
 
छ्टा दिखाओ गति की लय की ताल की
 
आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी !
 
सैनिक तुम्हें सलामी देंगे
 
लोग-बाग बलि-बलि जायेंगे
 
दॄग-दॄग में खुशियां छ्लकेंगी
 
ओसों में दूबें झलकेंगी
 
प्रणति मिलेगी नये राष्ट्र के भाल की
आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी!
आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी !  बेबस-बेसुध, सूखे-रुखडेरुखडे़, हम ठहरे तिनकों के टुकडेटुकडे़
टहनी हो तुम भारी-भरकम डाल की
 खोज खबर तो लो अपने भक्तों के खास महाल की ! 
लो कपूर की लपट
 
आरती लो सोने की थाल की
 आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी ! 
भूखी भारत-माता के सूखे हाथों को चूम लो
 
प्रेसिडेन्ट की लंच-डिनर में स्वाद बदल लो, झूम लो
 
पद्म-भूषणों, भारत-रत्नों से उनके उद्गार लो
 
पार्लमेण्ट के प्रतिनिधियों से आदर लो, सत्कार लो
 
मिनिस्टरों से शेकहैण्ड लो, जनता से जयकार लो
 
दायें-बायें खडे हज़ारी आफ़िसरों से प्यार लो
 धनकुबेर उत्सुक दीखेंगे उनके दिखेंगे, उनको ज़रा दुलार लो 
होंठों को कम्पित कर लो, रह-रह के कनखी मार लो
 
बिजली की यह दीपमालिका फिर-फिर इसे निहार लो
 यह तो नयी -नयी दिल्ली है, दिल मेन में इसे उतार लो एक बात कह दूं दूँ मलका, थोडी-सी लाज उधार लो 
बापू को मत छेडो, अपने पुरखों से उपहार लो
 जय ब्रिटेन की जय हो इस कलिकाल की ! आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी ! 
रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की
 
यही हुई है राय जवाहरलाल की
 आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी !</poem>
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