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"आज निशाने जिन पर हैं / विज्ञान व्रत" के अवतरणों में अंतर

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पिंजरों में महफ़ूज़ रहे
 
पिंजरों में महफ़ूज़ रहे
जितने पंछी बेपरे हैं
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फूलों की तक़दीरों में
 
फूलों की तक़दीरों में

18:49, 23 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

आज निशाने जिन पर हैं
वो सब ज़द से बाहर हैं

पिंजरों में महफ़ूज़ रहे
जितने पंछी बेपर हैं

फूलों की तक़दीरों में
क्यों काँटों के बिस्तर हैं

जीकर ये अहसास हुआ
मरने वाले बेहतर हैं

आँगन में है अँधियारा
चाँद-सितारे छत पर हैं !