भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज पहली बार / अशोक लव

Kavita Kosh से
Abha Khetarpal (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:50, 7 अगस्त 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=अशोक लव |संग्रह =लड़कियाँ छूना चाहती हैं आसमान / अशोक …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


ओं मलयानील!
तुम आये आज
आकाश-गंगा में नहा गई
चन्द्र की पहली किरण
गालों पर गमक उठे
सुगन्धित गुलाब

स्पन्दनशील हुआ जीवन
बालों में महक रही है
कच्चे सेबों की खुशबू

क्या तुमने भी अनुभव की है
कस्तूरी गंध?
मन-
स्रोतस्विनी-सा
अपनत्व से जुड़ा
समीपता से आप्लावित
आज पहली बार
जैसे हुआ अवतरित