भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज फिर दिल टूटा है / कुलदीप सिंह भाटी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज फिर
दिल टूटा है
आसमान की किसी परी का,

या कि धोखा मिला है
किसी प्रेमिल मन को,

या कि चोट खाई है
किसी निश्छल हृदय ने।

तभी तो
निश्चित ही दुःखी होकर
रो रहा है यह आसमान आज
और
फैल गया है इसके कोरों का काजल
बादलों के रूप में।