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तब क्या उम्र रही होगी कुंवर नारायण की?
जन्म १९ सितंबर १९२७
तब वे २८ अट्ठाईस वर्ष के रहे होंगे
बिल्कुल युवा कवि
कविताएँ वे लिख रहे थे निरंतर
और उन्होंने उन ऐतिहासिक क्षणों को याद किया
ठीक ५५ पचपन वर्षों बाद
कितनी बदली होगी इस बीच कवि की आंतरिक दुनिया
कितनी बदल गई इस बीच दुनिया
दिया भारतीय साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ
८३ तिरासी के हुए कुंवर नारायण
लेकिन नहीं भूले १९५५ को
वारसा को
नाज़िम हिक़मत के साथ के क्षणों को
५५ पचपन वर्षों बाद
'वे मास्को से वारसा आए थे
तुर्की के कठोर जेल-जीवन की थकान
अपनी अदम्य जिजीविषा से
अब भी अच्छी तरह याद है
८३ तिरासी वर्षीय कवि कुंवर नारायण को
पाब्लो नेरूदा से
'मुक्ति-प्रसंग' की पंक्तियाँ-
'क्यों एक ही दर्द मेरी कमर की हड्डियों में होता है/और वियतनाम में ।
तब ५१ इक्यावन वर्ष थे पाब्लो नेरूदा और २८ अट्ठाईस वर्ष के थे कुंवर नारायण
लेकिन अलग-अलग दिशाओं में वायुयान से उड़ते हुए
मैं कृतज्ञ हूँ कवि कुंवर नारायण का
५५ पचपन वर्षों बाद एक साथ इन दोनों महाकवियों से मिलने-जैसा सुख मुझे मिला
कृतज्ञता में उठे हैं मेरे हाथ
मैं एक साथ मिल रहा हूँ नाज़िम हिक़मत से, पाब्लो नेरूदा से और कुंवर नारायण से
५५ पचपन वर्षों बाद
वारसा में
मिला रहा हूँ इनसे हाथ
वारसा में
१९५५ में
ठीक आज से ५५ पचपन वर्ष पहले ।
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