भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदतन तुम ने कर दिये वादे / गुलज़ार
Kavita Kosh से
203.196.185.240 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 19:03, 11 जनवरी 2007 का अवतरण
रचनाकार: गुलज़ार
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
आदतन तुम ने कर िदये वादे
आदतन हम ने ऐतबार िकया
तेरी राहों में हर बार रुक कर
हम ने अपना ही इन्तज़ार िकया
अब ना माँगेंगे िजन्दगी या रब
ये गुनाह हम ने एक बार िकया