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"आदमी को आदमी से प्यार होता / धर्वेन्द्र सिंह बेदार" के अवतरणों में अंतर

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आदमी को आदमी से प्यार होता
खूबसूरत और भी संसार होता

आपको हमसे ज़रा-सा प्यार होता
दिल हमारा यूंँ नहीं बेज़ार होता

गर फ़ज़ा में और थोड़ी देर उड़ता
तो परिंदा आसमांँ के पार होता

मुश्किलों से ज़िंदगी आसांँ हुई है
इन बिना जीना बहुत दुश्वार होता

ख़ून से लिखता सितम की दास्तांँ जो
काश ऐसा भी कोई फ़नकार होता