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आदि मानव / गीता शर्मा बित्थारिया

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पहले आदमी जब
गुफाओं में रहता था
उसने पत्थरों से नुकीले
हथियार बनाए
आखेट किया
पत्थर घिसे
आग जलाई
पहिया बनाया
कुछ इस तरह
सभ्यता आगे बढ़ाई

फिर उसने झोपड़ी बनाई
अन्न उगाया
वस्त्र पहने
धेनू चराई
बंशी बजाई
वेद गाये
ग्रंथ लिखे
कुछ इस प्रकार
संस्कृति रचाई

अब उसने
उन्हीं नुकीले पत्थरों से
नगर बसाये
उसी आग से
जंगलों में आग लगाई
सभ्यता और संस्कृति
प्रकृति त्यागी
मुद्रा बनाई
कुछ इस नीति से
प्रगति पाई

पहले सिर्फ
आदि था मानव
अब अतिवादी हुआ
नये युग की
नई कूटनीति गढ़ ली
पेड़ों की जगह
बन्दूकें उगाई
पहले तो बस
जंगलों में रहता था
जंगली वो अब
इतनी अधिक
प्रगति के बाद
ही बना है

शायद अब
आगे नहीं पीछे
लौटना होगा
ताकि पृथ्वी पर
अनादि काल तक
अस्तित्व बना रहे
ओ मानव तेरा