भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आपके दिल में हमारी भी चाह है कि नहीं! / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:43, 9 जुलाई 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आपके दिल में हमारी भी चाह है कि नहीं!
कहीं आगे भी सितारों के राह है कि नहीं!

यह तो किस मुँह से कहें आप हमारे हो जायँ
पर हमें अपना बनाने की चाह है कि नहीं!

आपका दर न सही, राह का पत्थर ही सही
हमको हर हाल में होना तबाह है कि नहीं!

यह तो किस्मत न हुई, खुलके सामने हों कभी
पर इधर आपकी तिरछी निगाह है कि नहीं!

झुकके आँखों में किसीकी ये पूछते हैं गुलाब
'आपके दिल में पहुँचने की राह है कि नहीं!'