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आरसी / नज़ीर अकबराबादी

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बनवा के एक आरसी हमने कहा कि लो ।
पकड़ी कलाई उसकी जो वह शाख़सार<ref>शाख़ जैसी कोमल</ref>-सी ।
लेकर बड़े दिमाग और देख यक-ब-यक ।
त्योरी चढ़ा के नाज़ में कुछ करके आरसी ।
झुँझला के दूर फेंक दी और यूँ कहा चै ख़ुश ।
हम मारते हैं ऐसी अंगूठे पै आरसी ।

शब्दार्थ
<references/>