भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आर्षवाणी / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:12, 31 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= स्वर्णधूलि / सुमित्र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दीपशिखा महादेवी को
दीपशिखे, तुमने जल जल कर ऊर्ध्व ज्योति की वर्षण,
ये आलोक ऋचाएँ तुमको करता सहज समर्पण।