भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आवरण है / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:12, 9 जनवरी 2008 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=आग का आईना / केदारनाथ अग्रवा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज



आवरण है

और नहीं भी है

निरावरण दृष्टि चाहिए

निरावरण देखने के लिए


(रचनाकाल : 14.10.1965)