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आवऽ ही जी आवऽ जी / सच्चिदानंद प्रेमी

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आवऽ ही जी आवऽ जी
कुछ गीत प्रीत के गावे तो दऽ।
ऐसन कउन बनल हे बतिया
हँसी खुसी में बीतल रतिया,
असली-नकली भुला के प्यारे
दम मारऽ दम फुला के छतिया
कौन मरऽ है मरऽा ऐसन-
तनि ओकरे वुलावेउऽ
ई बाग बगैचा झूम रहल हे,
कलियन के भँवरन चूम रहल हे,
ई ताल घाट सर नदी चहल
बहकरल धारा भी मचल रहल
बोलूँऽ कइसे ई सब के हम
छोड़ा के बोलऽ कहाँ रहम हम
इनखा से मिलई अरबही
फिर उनखा बात बतवही
कि सबसे दुखड़ा गाबेदऽ
ई काल एहि ई मोर निसा
आँगड़ाई लेले उठल उषा
लल छाँही आँखिया करे अनार
दसो दिसा कसलक अतिसार
नगर-गाँव में फौजखड़ी
सीमा से लौटल खाड़ी-खड़ी
जैसन करनी ओइसन भरनी
बस एतने अभी बतलावे दऽ
एतने झुकही जेतना सकबऽ
रीढ़ न टूटे ध्यान रखऽ