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मनुष्य की मेरी देह ताकतताक़त
के लिए एक आसान शिकार है
ताकत ताक़त के सामने वह इतनी दुर्बल है
और लाचार है
कि कभी भी कुचली जा सकती है
ताकत ताक़त के सामने कमजोर कमज़ोर औरभयभीत हैं मेरे बाल और नाखूननाख़ूनजो मेरे शरीर के दरवाजे दरवाज़े पर ही
दिखाई दे जाते हैं
मेरी त्वचा भी इस कदर पतली
और सिमटी हुई है
कि उसे पीटना बहुत आसान है
और सबसे अधिक नाजुक नाज़ुक औरजद ज़द में आया हुआ है मेरा हृदय
जो इतना आहिस्ता धड़कता है
कि उसकी आवाज आवाज़ भी शरीर से
बाहर नहीं सुनाई देती
ताकत ताक़त का शरीर इतना
बड़ा इतना स्थूल है
कि उसके सामने मेरा अस्तित्व
सिर्फ सिर्फ़ एक सांस की तरह है
मिट्टी हवा पानी जरा ज़रा सी आग
थोड़े से आकाश से बनी है मेरी
देह
सकता है
उसके लिए किसी अतिरिक्त
हरबे-हथियार की जरूरत ज़रूरत नहीं
होगी
यह तय है कि किसी ताकतवरताक़तवर
की एक फूंक ही
मुझे उड़ाने के लिए काफी काफ़ी होगी
मैं उड़ जाऊंगा सूखे हुए पत्ते नुचे
हुए पंख टूटे हुए तिनके की तरह
कभी-कभी कोई ताकतवर ताक़तवर थोड़ी
देर के लिए सही
अपने मातहतों को सौंप देता है
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