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आ रहा है देखना जश्ने-बहारां आएगा / चाँद शुक्ला हादियाबादी
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आ रहा है देखना जश्ने बहारां आएगा
चाँद तारे माँग में उसकी कोई भर जाएगा
नाच उठेगी खुशी से झूम कर वो महजबीं
उसके आँगन में कोई जुगनू सजा कर जाएगा
रात भर सरगोशियाँ होतीं रहेंगी देर तक
उसके कानों में कोई मिसरी का रस भर जाएगा
आज तनहाई का आलम है तो कल होगा मिलन
सुरमुई आँखों में वो खुशियों के जल भर जाएगा
भूल जाएगी वो अपना ग़म मिलन की रात में
उसके ज़ख़्मों पर वो मरहम का असर कर जाएगा
प्यार से अपने भरेगा उसकी नस-नस में ख़ुमार
देखना तन- मन को वो चंदन बना कर जाएगा
बंद पलकों में तलाशेगा ख़ुद अपने अक्स को
"चाँद" जाने कितने वो सपने सजा कर जाएगा