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इंजीनियर बन दिखाऊँगी / शकुंतला कालरा

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देख-देख मम्मी घबराई,
बात समझ उसको न आई,
क्यों दोनों में हुई लड़ाई,
गुड़िया ने तब बात बताई।

मोटू को दी मोटर गाड़ी,
फिरे खेलता वह पिछवाड़ी,
कापी-पुस्तक फैली सारी,
कभी न पढ़ता बड़ा अनाड़ी।

भैया रहता तुझे सताता,
फिर भी तुझको ज़्यादा भाता,
लिए किताबें वह इतराता,
बुद्धू कहकर मुझे चिढ़ाता।

इंजीनियर बन दिखाऊँगी,
भैया से आगे जाऊँगी,
जब जग में आदर पाऊँगी,
तेरी बिटिया कहलाऊँगी।

आसमान पर चढ़े-चढ़े,
भवन बनाऊँगी बड़े-बड़े,
देखेगा मोटू खड़े-खड़े,
अब नहीं रहूँगी डरे-डरे।

सुन-सुन कर मम्मी मुसकाई,
बात समझ अब सारी आई,
ममता उस पर ख़ूब लुटाई,
अब तो गुड़िया भी हरषाई।