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इतना अपना-सा लगता है / दिनकर कुमार

अकीरा कुरोसोवा की फ़िल्में देखने के बाद
 
इतना अपना सा लगता है
विषाद
जैसे मेरे हृदय को
फ्रेम में बान्धा गया हो

धुन्ध में हिलती हुई परछाई
तेज़ बारिश के बीच
एक शिशु का क्रन्दन
लहलहाती हुई फ़सल के बीच
हिलता हुआ
नाजुक प्रेम का पौधा
 
अरण्य की गहराई में
पत्तों के बीच से झाँकता हुआ सूरज
संशय और अविश्वास
की पृष्ठभूमि में
मानवीय उष्मा का आभास

इतना अपना-सा लगता है
क्षोभ-गुस्सा
और युद्ध
और अन्न के लिए हाहाकार