भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इश्क़ का अब है इरादा कर लिया / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:03, 5 अप्रैल 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=आस क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
इश्क़ का अब है इरादा कर लिया।
आपसे मिलने का वादा कर लिया॥
दिल की नगरी में बसाया आपको
जब झुकाया सर नज़ारा कर लिया॥
हैं हरिक वादा किया झूठा मगर
आप पर फिर भी भरोसा कर लिया॥
साथ था चलना हमें हमराह बन
आपने ही पर किनारा कर लिया॥
हिज्र की जब धूप झुलसाने लगी
आपकी यादों का साया कर लिया॥