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{{KKRachna
|रचनाकार=चाँद हादियाबादी
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<poem>
अब तो बस इतना याद है के उन्हें
याद हम बे शुमार बेशुमार करते थे
याद में तेरी रात भर तन्हा
"चाँद" तारे शुमार करते थे.
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